जम्मू-कश्मीर, लद्दाख से हिमाचल तक, कई जगह बादल फटने से भारी तबाही; आखिर क्या है वजह?

Spread the love


जम्मू-कश्मीर, लद्दाख से लेकर हिमाचल प्रदेश तक पहाड़ी इलाकों में बुधवार को आसमान से जैसे मुसीबतों की बारिश हुई। कई जगह बादल फटने से कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई, कई मकान बह गए तो एक मिनी हाइड्रा पावर प्लाट को भी नुकसान हुआ है। हालांकि, पश्चिमी महाराष्ट्र में 200 से अधिक लोगों की जान लेने के बाद बारिश में कुछ कमी हुई है। जम्मू-कश्मीर में सुबह जहां किश्तवाड़ में बादल फटे तो शाम को अमरनाथ गुफा के पास भी बादलों ने सारा पानी एक ही जगह उड़ेल दिया। लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में भी बादल फटे और तबाही का मंजर छोड़ गए।

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के बाद आई बाढ़ में 9 लोगों की मौत, 7 लापता

हिमाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ में कम से कम 9 लोगों की मौत हो गई और सात लोगों के लापता होने की सूचना है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। राज्य आपदा प्रबंधन निदेशक सुदेश कुमार मोख्ता ने बताया कि लाहौल-स्पीति में उदयपुर में तोजिंग नाले पर बादल फटने से आई बाढ़ में सात लोगों की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि चम्बा जिले में दो लोगों की मौत हुई है। कुल्लू जिले में पनबिजली परियोजना के एक अधिकारी और दिल्ली के एक पर्यटक समेत चार लोग लापता हैं और उनके मारे जाने की आशंका है।

मोख्ता ने कहा कि लाहौल-स्पीति के उदयपुर में मंगलवार की रात लगभग 8 बजे अचानक आई बाढ़ में 12 मजदूर बह गए। सात शव बरामद किए गए, दो को बचा लिया गया जबकि तीन अभी भी लापता हैं। मरने वालों में चार हिमाचल प्रदेश के मंडी के हैं जबकि एक जम्मू-कश्मीर के रियासी का है। दो शवों की अभी शिनाख्त नहीं हो पाई है। मृतकों की पहचान मंडी के रहने वाले शेर सिंह (62), मेहर चंद (50), नीरथ राम (42) और रूम सिंह (41) के रूप में हुई है जबकि एक अन्य की पहचान जम्मू-कश्मीर के रियासी के रहने वाले मोहम्मद स्लेम के तौर पर हुई है।

किश्तवाड़ में सात की मौत, 17 घायल
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में बुधवार को बादल फटने से अचानक आयी बाढ़ और भारी बारिश से सात लोगों की मौत हो गई और अन्य 17 घायल हो गए। एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि किश्तवाड़ जिले के दाछन गांव में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ में कम से कम 38 लोग फंस गए, जिनमें से सात लोगों की मौत हो गई। उन्होंने कहा, ”हमने मलबे से सात शव बरामद किये हैं और 14 लोग अभी भी लापता हैं। निकाले गए 17 में से छह गंभीर रूप से घायल हैं जबकि 11 को मामूली चोटें आई हैं।” अधिकारी ने बताया कि मृतकों के नाम गुलाम मोहम्मद की पत्नी सोजा बेगम, जुबैर अहमद की पत्नी रमीला बेगम, गुलाम रसूल का बेटा गुलाम नबी, नजीर अहमद का बेटा अब्दुल मजीद, हाजी लाल दीन की पत्नी जैतूना बेगम, मोहम्मद इकबाल का बेटा तौसीफ इकबाल, नसीरुल्लाह का पुत्र गुलाम मोहिउद्दीन हैं। पुलिस सेना और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच गयी हैं और बचाव अभियान अभी भी जारी है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि केंद्र सरकार सरकार स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है।

अमरनाथ गुफा के बेहद करीब फटा बादल
जम्मू-कश्मीर में हिमालय पर्वत स्थित अमरनाथ गुफा के पास बुधवार को बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई। वर्तमान समय में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा रद्द कर दी गई है। अमरनाथ गुफा के पास आज बादल फटने की घटना में किसी के हताहत होने या किसी संपत्ति के नुकसान की कोई रिपोर्ट नहीं है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आज अमरनाथ गुफा मंदिर के पास बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई। उन्होंने कहा, ”अचानक आई बाढ़ से जान-माल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।” इस बीच, सुरक्षा बलों, श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) और अन्य विभागों के टेंट को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है।

 

कारगिल में भी दो जगह फटे बादल
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सीमावर्ती जिले कारगिल में दो जगह बादल फटने के कारण अचानक आई बाढ़ से एक पनबिजली परियोजना और कुछ आवासीय मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कारगिल शहर से करीब 60 किलोमीटर दूर श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के पास स्थित खंगराली गांव में बादल फटने से अचानक आई बाढ़ के कारण कुछ आवासीय मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए।
सूत्रों ने बताया कि बाढ़ आने पर लोग पहाड़ों पर चले गये और जलस्तर कम होने पर वापस अपने-अपने घरों में लौट आए। बादल फटने की दूसरी घटना कारगिल शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर कारगिल-जांस्कर रोड पर स्थित सांगरा में हुई। सांगरा में बादल फटने के कारण अचानक आई बाढ़ से एक मिनी पनबिजली परियोजना आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई। सूत्रों ने बताया कि दोनों इलाकों में इस दौरान किसी के हताहत होने की कोई रिपोर्ट नहीं है।

 

पहाड़ी इलाकों में क्यों फटते हैं बादल?

किसी स्थान पर एक घंटे में यदि 10 सेंटीमीटर वर्षा होती है तो इसे बादल का फटना कहा जाता है। अचानक इतनी अधिक मात्रा में वर्षा होने से न सिर्फ जनहानि होती है बल्कि संपत्ति को भी नुकसान होता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युजंय महापात्रा ने कहा कि बादल फटने की घटना बहुत छोटे क्षेत्र में होती है और यह हिमालयी क्षेत्रों या पश्चिमी घाट के पर्वतीय इलाकों में हुआ करती है।

उन्होंने कहा कि जब मॉनसून की गर्म हवाएं ठंडी हवाओं के संपर्क में आती है तब बहुत बड़े आकार के बादलों का निर्माण होता है। ऐसा स्थलाकृति या पर्वतीय कारकों के चलते भी होता है। स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन) महेश पलवत ने कहा कि इस तरह के बादल को घने काले बादल कहा जाता है और यह 13-14 किमी की ऊंचाई पर हो सकते हैं। यदि वे किसी क्षेत्र के ऊपर फंस जाते हैं या उन्हें छितराने के लिए कोई वायु गति उपलब्ध नहीं होती है तो वे एक खास इलाके में बरस जाते हैं।

इस महीने, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फटने की घटनाएं हुई। ये सभी पर्वतीय इलाके हैं। महापात्रा ने कहा, ”बादल फटने का पूर्वानुमान नहीं किया जा सकता। लेकिन हम बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी कर सकते हैं। हिमाचल प्रदेश के मामले में हमने एक रेड अलर्ट जारी किया था।” पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव एम राजीवन ने कहा कि बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि इसका पूर्वानुमान करना मुश्किल है लेकिन डोप्पलर रेडार उसका पूर्वानुमान करने में बहुत मददगार है। हालांकि, हर जगह रेडार नहीं हो सकता, खासतौर पर हिमालयी क्षेत्र में।

देश / दुनिया