बहुत खास है इस बार की जन्माष्टमी, बन रहे हैं ये शुभ योग

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इस बार 30 अगस्त यानी सोमवार को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन रात को 23:37 पर चन्द्र उदय होगा। शास्त्रों में इसका विशेष उल्लेख है। ’अर्द्धरात्रे तु रोहिण्यां यदा कृष्णाष्टमी भवेत्। तस्यामभ्यर्चनं शौरिहन्ति पापों त्रिजन्मजम्।’अर्थात सोमवार में अष्टमी तिथि, जन्म समय पर रोहिणी नक्षत्र और हर्षण योग में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत एवं जन्मोत्सव मनाने वाले श्रद्धालुओं के तीन जन्म के पाप समूल नष्ट हो जाते हैं और ऐसा योग शत्रुओं का दमन करने वाला है। निर्णय सिंधु में भी एक श्लोक आता है-’त्रेतायां द्वापरे चैव राजन् कृतयुगे तथा। रोहिणी सहितं चेयं विद्वद्भि: समुपपोषिता।।’ अर्थात हे राजन्, त्रेता युग, द्वापर युग, सतयुग में रोहिणी नक्षत्र युक्त अष्टमी तिथि में ही विद्वानों ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उपवास किया था इसीलिए कलयुग में भी इसी प्रकार उत्तम योग माना जाए। ऐसा योग विद्वानों और श्रद्धालुओं को अच्छी प्रकार से पोषित करने वाला योग होता है।
इस वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव जयंती योग में मनाया जाएगा। ग्रह नक्षत्रों के आधार पर उस दिन प्रातःकाल सूर्य उदय से लेकर रात्रि 1:59 बजे तक अष्टमी तिथि है। इस दिन प्रातः 6:38 बजे तक कृतिका नक्षत्र है जो स्थिर योग में इस व्रत की शुरुआत करेगा। उसके पश्चात 6:39 बजे से रोहिणी नक्षत्र आएंगे जो अगले दिन प्रातः 9:43 बजे तक रहेंगे। यह दिन और नक्षत्र का योग प्रवर्धन योग कहलाता है। इसको शास्त्रों मे सर्वार्थ सिद्धि योग भी कहा गया है।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र एवं हर्षण योग में हुआ था। सौभाग्य से इस वर्ष इसी तिथि, नक्षत्र और योग की स्थिति इस बार बन रही है। इस वर्ष अष्टमी तिथि को चंद्रमा का उदय रात्रि 23:37 पर होगा। श्री कृष्ण जन्माष्टमी को रात्रि 12:00 बजे, रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि और हर्षण योग अर्थात पूर्ण रूप से जयंती योग बना रहा है। ऐसा कहा गया है कि तामसी वृत्ति के इस कलयुग में ऐसा योग दुर्लभ माना गया है जो भक्तजन इस व्रत को श्रद्धा अनुसार और परंपरा के अनुसार करता है। उसके समस्त कष्ट एवं पाप दूर जाते हैं। यह योग अनेक वर्षों में कभी-कभी आता है और जब भी आता है देश की स्थिति को सुदृढ बनाता है। सूर्य उदय कालीन जन्म कुंडली के आधार पर 30 अगस्त 2021 सोमवार को प्रातः 6:01 पर कुंडली में चतु:सागर योग बन रहा है। इस योग का अर्थ होता है कि चारों ओर प्रसिद्धि योग। भारत का विश्व में वर्चस्व बढ़ेगा। जिन जातकों का जन्म इस तिथि को होगा। वह राष्ट्र के लिए एक नायक होंगे और राष्ट्र निर्माण में उनकी भागीदारी हमेशा याद रखी जाएगी। इस समय की कुंडली के अनुसार सूर्य और मंगल सिंह राशि के लग्न में है। चंद्र, राहु,केतु उच्च राशि में है। बुध उच्च राशि में है। शनि अपनी राशि में है और बृहस्पति लग्न को देख रहा है। ऐसा योग राजनीति क्षेत्र में सत्ता के वर्चस्व को बढ़ाने वाला आसुरी ताकतों को शांत करने वाला होता है, किंतु लग्न में सूर्य मंगल देश विदेश में विद्रोह की स्थिति वह रक्तपात आदि का भी कारक बन रहा है।

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