गुरु पूर्णिमा को गुरु चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पण करते हुए, गुरु प्रेम और ज्ञान की प्रतिमूर्ति

Spread the love

ब्यावरा (राजगढ़) सृष्टि के अंतिम यथार्थ ब्रह्मतत्व का साक्षात्कार बिना सद्गुरु के संभव नहीं है। जब किसी मुमुक्ष में ईश्वर साक्षात्कार की इच्छा अति प्रबल हो जाती है, तो प्रभु कृपा से उसे सतगुरु मिल जाते हैं, गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी कहा है, बिनु हरि कृपा मिल ही नहि संता। अर्थात बिना हरीकृपा के संत नहीं मिलते। यह गुरु शब्द में (गु)अर्थ अंधकार और (रू) का अर्थ है दूर करना । भले ही कोई ब्रह्मा, शंकर के सामान क्यों ना हो, वह गुरु के बिना भवसागर पार नहीं कर सकता। गुरु महिमा का वर्णन करते हुए संत कबीर दास ने दोहे में कहां है। सब धरती कागज करूं, लेखनी सब बन राय …….., सब पृथ्वी को कागज, सब वनों के पेड़ों को कलम, सातों समुद्रों को शाईही बनाकर लिखने पर भी गुरु के गुण नहीं लिखे जा सकते हैं। गुरु पूर्णिमा को लेकर शनिवार गुरु चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पण करते हुए, शहर व जिले के विश्व प्रेम मंदिर ट्रस्ट, गायत्री परिवार ट्रस्ट, सुठालिया पाठशाला, श्री उदासीन आश्रम, श्री हातेश्वर आश्रम आदि पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए अभिषेक, पूर्णाहुती व गुरु पादुका एवं भंडारे में महा प्रसादी के साथ हुआ।

राजगढ़ ब्यावरा