अमेरिकी सांसद ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तिब्बत दौरे को भारत के लिए खतरा बताया

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प्रभावशाली अमेरिकी सांसद डेविन नून्स ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तिब्बत दौरे को भारत के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडन सरकार चीन को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है। बता दें कि शी जिनपिंग ने 21 जुलाई को तिब्बत के सीमावर्ती शहर निंगची की अघोषित यात्रा की थी। तिब्बत के दौरे पर जिनपिंग ने टॉप सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक और तिब्बत में क्षेत्र में विकास परियोजनाओं की समीक्षा की थी। निंगची, तिब्बत का एक सीमावर्ती शहर है जो अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है। चीन, अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है। भारत चीन के इस दावे को सिरे से खारिज करता रहा है। भारत-चीन के बीच 3,488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर सालों से सीमा विवाद है।

सांसद डेविड नून्स ने क्या कहा है?
रिपब्लिकन सांसद डेविन नून्स ने ‘फॉक्स न्यूज’ को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘चीनी तानाशाह शी जिनपिंग ने पिछले सप्ताह भारत की सीमा के पास तिब्बत का दौरा करके अपनी जीत का दावा किया है। मुझे लगता है कि पिछले 30 साल में यह पहली बार है, जब चीनी तानाशाह तिब्बत गए हों। यह एक अरब से अधिक की आबादी वाले और परमाणु शक्ति से सम्पन्न भारत के लिए एक खतरे की बात है। भारत के लिए यह खतरे की बात है कि वह एक बड़ी जल परियोजना विकसित करने वाले हैं, जिससे भारत की जल आपूर्ति बाधित हो सकती है।’

बता दें कि निंगची यात्रा के दौरान शी जिनपिंग ने ‘न्यांग रिवर ब्रिज’ का मुआयना किया था। चीन ने हाल ही में ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल बांध बनाने की योजना को मंजूरी दी है जिसने भारत और बांग्लादेश के ब्रह्मपुत्र नदी के इलाके वाले क्षेत्र की चिंता बढ़ा दी है।

सांसद डेविन नून्स ने कहा है कि, ‘वास्तविकता यह है कि चीन आगे बढ़ रहा है और राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन उसे हर वह चीज करने दे रहा है, जो वह चाहता है।’

लगातार तिब्बत का दमन कर रहा चीन
रिपोर्ट्स के मुताबिक शी जिनपिंग ने अपने तिब्बत दौरे पर धार्मिक कार्यों को नियंत्रित करने वाले मौलिक दिशानिर्देशों को लागू करने पर जोर दिया था। चीन पर आरोप है कि वह बौद्ध बहुल तिब्बत क्षेत्र में सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता को दबा रहा है। 2013 में राष्ट्रपति बनने के बाद से ही शी जिनपिंग ने तिब्बत पर सुरक्षा नियंत्रण बढ़ाने की कड़ी नीति अपनाई है। चीन बौद्ध भिक्षुओं और दलाई लामा के अनुयायियों पर भी नकेल कसता रहा है।

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