समाज मे परिवर्तन करने के लिये सेकड़ों पीढ़ियों की साधना लगती है: स्वप्निल जी कुलकर्णी
ब्यावरा राजगढ़:–शनिवार सायं काल स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर के प्रांगण में संघ शिक्षा वर्ग सामान्य में आये शिक्षार्थी ने बीस दिवसीय प्रशिक्षण में विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किये। इस कार्यक्रम को देखने के लिए संघ की निर्धारित गणवेष में लगभग 20 से 25 हजार स्वयंसेवक एवं मातृषक्ति उपस्थित हुई। जिले की विभिन्न तहसीलों सहित 726 गांव से स्वयंसेवक उपस्थित हुए कार्यक्रम में आने वाले स्वयंसेवको को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो इस हेतु नगर चार पार्किंग की व्यवस्था की गई। नगरवासियों ने गर्मी को देखते हुये बडे़ उत्साह से स्वयंसेवकों के लिए 32 प्याऊ लगवाये गये। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री कैलाष चंद्र जी पण्डा ने की। मंचासीन अतिथियों ने माननीय वर्गाधिकारी श्री प्रहलाद जी सबनानी, जिले के माननीय संघचालक श्री महेष जी यादव, मुख्य अतिथि श्री हरि सिंह जी चौहान एवं मुख्य वक्ता मध्यभारत प्रांत के प्रांत प्रचारक श्री स्वप्निल जी कुलकर्णी उपस्थित रहे।कार्यक्रम का शुभारंभ, स्वागत प्रणाम, के बाद ध्वजारोहण हुआ तत्पश्चात् शिक्षार्थियों द्वारा समता एवं घोष का वादन प्रस्तुत किया गया। इसके बाद षिक्षार्थियों ने आत्मविष्वास को बढ़ाने एवं आत्मरक्षार्थ निःयुद्ध, पद्विन्यास, दण्ड संचालन एवं दण्ड युद्ध का प्रदर्षन किया। समस्त षिक्षार्थियों द्वारा सूर्यनमस्कार, आसान, दण्डयोग, व्यायाम योग एवं सामूूहिक गीत का उत्कृष्ट प्रदर्षन किया गया। षिक्षार्थियों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम में सभी दर्षकों का मन मोह लिया। इसके बाद वर्ग का प्रतिवेदन वर्ग कार्यवाह श्री संजीव जी मिश्रा द्वारा पढ़ा गया। उन्होने बताया कि इस वर्ग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 97वें वर्षो से व्यक्ति निर्माण के कार्य में लगा हुआ है और व्यक्ति निर्माण के लिए यह प्रषिक्षण रहता है। इस वर्ग में कुल 297 है। जिसमें विद्यार्थी 39, कृषक 43, अभियन्ता 2, षिक्षक 30 एवं 9 ने भाग लिया।
इस वर्ग में प्रषिक्षण देने वाले षिक्षक 26, ग्रहस्थ कार्यकर्ता 8 एवं प्रचारक 8 उपस्थित रहे। वर्ग में 22414 परिवारों से संपर्क कर राम रोटी का संग्रह किया गया। वर्ग कार्यवाह द्वारा मंचासीन अधिकारियों का परिचय कराया गया। तत्पश्चात् षिक्षार्थियों द्वारा अमृतवचन एवं एकलगीत लेने के बाद अध्यक्ष महोदय द्वारा उद्बोधन दिया। उन्होने कहा कि कलयुग में केवल संगठन ही शक्ति है। आज की आवष्यकता है कि हम सभी मिलजुल कर हिन्दू समाज को संगठित करे। हिन्दू समाज किसी बहकावें में न आवे। संगठित समाज ही देष की शक्ति है। दुनिया केवल शक्तिषाली देष की बात सुनती है। इसके पश्चात् मुख्य वक्ता श्री स्वप्निल जी कुलकर्णी द्वारा उद्बोधन हुआ। उन्होने अपने उद्बोधन में कहा कि कार्यकर्ता प्रशिक्षण के लिए आयोजित होने वाले 20 दिवसीय प्रथम वर्ष के शिक्षार्थियों के शारिरिक प्रदर्शन की हल्की सी झांकी अभी हम सभी ने देखी । इस प्रकार के संघ शिक्षा वर्ग सम्पूर्ण देश मे आयोजित होते हैं जिसमे स्वयंसेवक अपना समय देकर बड़ी मात्रा में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। आज 1925 से चला अपना यह संघ कार्य दिन प्रतिदिन बड़ रहा है हम 100 वर्ष पूर्ण करने को हैं , किसी भी संस्था या संघठन की स्थापना होती है तो उसकी आयु भी बढ़ती ही हे । संघ शताब्दी वर्ष में जा रहा है उस से ज्यादा महत्वपूर्ण पूर्ण है कि हमारे यशस्वी 100 वर्ष हो रहे हैं संगठन और समाजों के लिए यह समय कम होता है अच्छी परम्परा एवं समाज मे परिवर्तन करने के लिये सेकड़ों पीढ़ियों की साधना लगती है। संघ किसी विरोध या प्रतिक्रिया के लिए नही परंतु सकारात्मक एवम विधायी कार्य को लेकर चल रहा है ।संघ में राष्ट्रीय होने का मतलब ही यही है कि सम्पूर्ण भारत को अपना मानने वाले स्वयं की प्रेरणा से कार्य करने वाले लोगों का यह संघ है। इस प्रकार के भाव को प्रत्येक स्वयंसेवक अपने मन मे रखता है इसलिए इस देश पर आए प्रत्येक संकट चाहे वो देश की स्वतंत्रता का आंदोलन हो या भारत माता का दुखांत विभाजन हो या चीन 1962 पाकिस्तान ( 1948 , 1965 , 1971 , 1991 कारगिल )से युद्ध हो बाढ़ हो तूफान हो किसी भी प्रकार की आपदा हो कोरोना हो इन सब मे वह अपने देश समाज के लिए खड़ा रहता है। हिन्दू यह विविधताओं से नही डरता क्यूँ की हम जानते हैं कि एक ही है जिस से सब अनेक हुए हैं एक वृक्ष की अलग अलग रचना एक ही बीज से हुई है। आज जातियों के बीच संघर्ष खड़ा करने का प्रयास होता है समाधान यह हिन्दू भाव है। आने वाले समय मे सभी प्रकार से संघर्षरत विश्व को अपने जीवन मूल्यों के आधार पर सुख ओर शान्ति का मार्ग अपने हिन्दू धर्म से ही मिलने वाला है। वे जीवन मूल्य है कृण्वन्तो विश्वमार्यम , वसुधैव कुटुम्बकम , सर्वे भवंतु सुखिनः
इस प्रकार का आचरण प्रत्येक हिन्दू को अपने व्यक्तिगत जीवन मे लाना होगा। भेद रहित , शोषण मुक्त, समता युक्त, व्यसन मुक्त,विवाद मुक्त अपना गांव बने जागृत, संगठित, निर्दोष समाज बने , धरती माता को मां माने वाला इस मां की कोख को अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए रसायनों के उपयोग है बांझ न करे। अपने परिवार कुटुंब अपनी सबसे बड़ी ताकत है एक स्वाबलम्बी स्वाभिमानी मनुष्य एक अच्छे सामुहिक संस्कारों से निकलता है इसलिए हमारे कुटुंब परिवार यह व्यवस्था मजबुत हो। गौ की रक्षा के लिए गौ शाला या अन्य व्यवस्था से ज्यादा महत्वपूर्ण के गाय को लेकर सवेंदना से भरा हुआ अपना समाज, गाय को देखने की हमारी दृष्टि ही उसकी सुरक्षा और संवर्धन की ग्यारंटी है। अपना देश भले ही राजनीतिक रूप से गुलाम हुआ हो परन्तु अपना गांव कभी गुलाम नही हुआ उसकी अपनी एक आर्थिक व्यवस्था थी और ग्राम स्वाबलंबी हुआ करते थे रविन्द्र नाथ टैगोर ने अपनी पुस्तक स्वदेशी समाज मे इसका उल्लेख किया है। माता बहनों की सुरक्षा एवम उनका सम्मान यह हमारी जिम्मेदारी रही है , आज लव जेहाद जैसे षड्यंत्रों से अपनी बहनों की रक्षा करनी है। हम केवल दूर खड़े देखने वाले या संघ के समर्थक न बने बल्कि अपने दैनिक समय मेसे 1 या 2 घण्टे का समय संघ का कार्य करें। यह जो हम कार्य करना चाहते हैं यह कुछ लोगों के करने से नही होगा सबको करना होगा नेता , नीति नारा,विचार ,अवतार ,महापुरुष इनसे नही प्रत्येक व्यक्ति से यह कार्य होगा। आभार वर्ग के प्रबंध प्रमुख श्री संजय जी सक्सेना द्वारा किया गया।